October 1, 2023

छाता तहसीलदार के भृष्टाचार खिलाफ जमकर हुई नारेबाजी ,लगे मुर्दाबाद के नारे

छाता तहसीलदार के खिलाफ आये दिन भृष्टाचार के आरोप लगना कोई नया काम नहीं है लेकिन अब छाता के अधिवक्ता गणों ने न सिर्फ खुलकर उनका विरोध करना शुरू कर दिया है बल्कि मुर्दाबाद के नारे भी लगाए जा रहे हैं वो भी धरना प्रदर्शन के साथ।
हम बात कर रहे हैं तहसील छाता के तहसीलदार मनोज वार्ष्णेय की , यह बिल्कुल सच है कि जब से ये महाशय तहसील में आये हैं रिश्वतखोरी का आंकड़ा 10 गुना बढ़ गया है , और ये हमेशा अपने आपको ईमानदारी के लिए गुणगान करते नजर आएंगे, निवर्तमान उपजिलाधिकारी स्वेता सिंह भी इनसे परेशान थीं क्योंकि वहाँ इनकी रिश्वतखोरी की शिकायत बहुत आती थी ,अधिवक्ता बताते हैं जो काम दाखिल खारिज का पहले 30 पैसे में होता था अब 1 रुपये में होता है दरअसल ये 30 पैसे का कोई लेनदेन नहीं बल्कि कोड वर्ड है यानी जो जमीन की मालियत है उसका प्रतिशत है । तहसील दार मनोज कुमार ने रिश्वतखोरी का आंकड़ा इतना बढ़ा दिया है कि पानी सर के ऊपर बहने लगा,, जो फाइल उनके दफ्तर में आ गई वो बिना लाखों की गड्डी के बाहर नहीं जाने वाली,, हालांकि हम अधिवक्ताओं के इन आरोपों की पुष्टि नहीं करते लेकिन जब अगर ऐसे आरोप लग रहे हैं जो मथुरा जिलाधिकारी को स्वतः संज्ञान लेकर जांच करानी चाहिए, ऐसा कभी नहीं हुआ की इतने आरोप किसी अधिकारी पर एक साथ लगे हो जो किसानों सहित दस्तावेज लेखक व वकीलों ने कभी एक साथ लगाए हों, कुछ अधिवक्ता गणों ने नकल खिड़की पर कार्यरत प्राइवेट कर्मचारी संजय को इनका खासम खास बताया है औऱ कहा कि तहसीलदार की रिश्वतखोरी का पैसा संजय लेता है और फिर तुरन्त फ़ाइल पास होकर आ जाती है ,वैसे देखा जाए तो तहसील में स्टाफ की कमी होने के कारण बहुत से प्राइवेट कर्मचारी कार्य करते हैं और उनकी कोई तन्ख्वाह भी नहीं है ,पर छाता तहसील में 2 प्राइवेट कर्मचारी ऐसे हैं तो हमेशा तहसीलदार के अति प्रिय होते हैं उनमें एक अशोक कुमार हैं जो आर सिक्स आर के में कार्यरत हैं औऱ दूसरे संजय अगर किसी कार्य के लिए किसी भी फरियाद या अधिवक्ता या किसान को तहसीलदार साहब से मिलना हो तो उनसे पहले इन्ही से मिलना होगा ,यही काम की जानकारी करके फीस बताएंगे यही आपसे रकम तय करेंगे,, पता सबको है जानकारी भी ज्यादातर सभी को है पर कोई कुछ कहता इसलिए नहीं है कि कहीं उनके ही कार्य न रुक जाएँ, हालांकि हमारे पास कई अधिवक्ता गणों ने प्राइवेट कर्मचारी संजय से फोन पर रिश्वतखोरी की बातचीत की कई ऑडियो रिकॉर्डिंग भी भेजी हैं जिनके अनुसार हम यह कहने पर मजबूर हैं कि जनता को खूब लूटा जा रहा है। और अगर किसी हरियाणा के काश्तका की कोई फाइल है तो उसपर तो दुगना चार्ज लगता है। अगर कोई बैंक का लोन भी खतौनी से कटवाना है उनके भी हजारों रुपये रिस्वत के लिए जाते हैं, अब तहसीलदार मनोज कुमार के खिलाफ वकील धरने पर बैठे हैं पर सच्चाई यह है कि हमाम में सब नन्गे हैं , अगर तहसीलदार रिस्वत लेते हैं तो इन वकीलों को खराब लगता है जबकि अधिवक्ता कौन सी कसर छोड़ देते हैं जनता पर,, यह भी जमकर लूटते हैं, मतलब छुरा खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरे पर कटना तो उसी को है जनता की तरह। अब देखना होगा कि क्या इन प्राइवेट कर्मचारियों पर व तहसीलदार पर कोई कार्यवाही होती है कि सब ऐसे ही चलता रहेगा। हमें सूत्रों से पता चला है कि स्थानीय मीडिया को मैनेज करने की भी तहसीलदार द्वारा भरपूर कोशिश हुई है और एक स्थानीय होटल में लोकल पत्रकारों को बुलाकर विशेष प्रकार के गिफ्ट व शानदार भोजन व शराब भी पिलाई गई है । और सब कुछ उसी खासमखास संजय बाबू ने मैनेज किया है।
क्योंकि सच सब जानते हैं।

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