
लेखक- हीरालाल (LIC वाले बरसाना)
बरसाना, आज बरसाना में चारो तरफ श्रीराधाजन्मोत्सव की धूम मची हुई है। देश विदेश से लाखों श्रृद्धालुओं श्रीराधारानी के जन्माभिषेक के दर्शनों को कई दिन पहले से ही आने लगते है। बतायी जाती है कि आज जो हम श्रीराधारानी के जिस विग्रह का दर्शन कर रहे हैं वह स्वयंभू है। यानि स्वयं प्रकट है। यह कथा उन दिनों की बतायी जाती है, जिस समय मुगलों का शासन था वही 15वीं व 16वीं सदी को भक्तिकाल भी कहते थे। विधर्मियों के शासन होने पर भी साक्षात् भक्ति उस समय नृत्य करती थी। बडें बडें महापुरुष उस समय अवतरित हुए थे। श्रीभक्तमाल के तृतीय खण्ड के अनुसार वि०सं० १५८८ (1588) में शुक्लपक्ष-१४ (श्रीनृसिंह चतुर्दशी) को दक्षिण भारत के मदुरा नामक नगर में एक भृगुवंशी दीक्षित ब्राह्मण के यह देवर्षि नारदजी के स्वरूप श्रीनारायणभट्टजी का अवतार हुआ। नारायणभट्ट जी बाल्यकाल से ही प्रकाण्ड विद्वान थे। 12 वर्ष में ही विद्याध्ययन पूर्ण कर अपने घर पर ही ब्रजदीपिका नामक गृन्थ को लिख दिया था। वे भगवान के ध्यान में मग्न रहते थे। इनकी भगवतभक्ति को देख श्रीराधामाधव ने प्रगट हो साक्षात दर्शन दिये और कहा तुम शीघ्र ही ब्रज में जाकर हमारी लीलाओं को प्रकाशित करो। और भगवान ने अपना एक बाल्य स्वरूप लाडिलेय नामक श्रीविग्रह सेवा पूजा करने को दे दिया। वही श्रीविग्रह लाडिलेय लाल भगवान ने नारायणभट्टजी को ब्रज के रहस्य और तीर्थों को उजागर किया। बताया जाता है कि सबसे प्रथम राधाकुण्ड में श्रीराधाकुण्ड और श्यामकुण्ड को प्रकट किया था। वही बरसाना में श्रीजी (श्रीराधारानी) के दिव्य विग्रह को ब्रह्मांचल नामक पर्वत पर और ऊँचागाँव में श्रीरेवतीरमण और श्रीबलदेवजी के श्रीविग्रह को प्रगट किया।
उन्ही के द्वारा प्रगट व सेवित श्रीराधारानी के दिव्य विग्रह का आज अभिषेक कराया गया। कालान्तर में श्रीराधारानी के श्रीविग्रह की सेवा अपने शिष्यों गोस्वामी परिवार को दे दी थी। आज भी नारायणभट्टजी के अनुसार व परपंरा से सेवा पूजा होती चली आ रही है। आज उसी श्रीराधारानी के श्रीविग्रह का प्रातःकाल (ब्रह्मवेला) में महाभिषेक कराया गया। आज के इस जन्माभिषेक को देखने के लिए ब्रज के ब्रजवासी ही नही देश विदेश से लाखों श्रृद्धा आये। कई कई महिनें पहले बरसाना की धर्मशाला, रेस्टोरेंट कमरे बुक हो जाते हैं। कई दिन पहले से ही ब्रज में श्रीराधाजन्मोत्सव की धूम दिखाई देने लगती है। श्रीराधारानी मन्दिर में कई दिन पहले से ही समाजगायन होने लगता है। श्रीजी मन्दिर की कई दिन पहले से ही भव्य सजावट व बरसाना की गली गली की भव्य सजावट होने लगती है ।
जगह जगह श्रृद्धालुओं के लिए भण्डारे व खाने -पीने की व्यवस्था होने लगती है। पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में अपनी पुरी ताकत से काम करता है। जिलाधिकारी से लेकर आईजी व अन्य जिलों की पुलिस भारी संख्या में बरसाना व मन्दिर सुरक्षा व्यवस्था में लगती है। महिला की सुरक्षा के लिए महिला पुलिस तैनात रहती हैं। कई जोन व सैक्टरों में बरसाना को बाँटा जाता हैं। जाम से श्रृद्धालुओं को बचाने के लिए कई कई किलोमीटर दूर वहानों को रोक दिया जाता है। बरसना में जगह जगह सेल्पी पोइंट, मुख्य मार्गो की झिलमिलाती लाइटों से सजाट की जाती है। श्रीराधाष्टमी के बाद से ही बरसाना व बरसानाक्षेत्र में आठ दिन तक लगातार मेला लगता है। भिन्न लीलाओं का दर्शन होता है। जो द्वापरकाल में भगवान श्रीराधाकृष्ण ने की थी। कुछ भक्तों द्वारा जन्माभिषेक के समय हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की जाती है।
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