December 4, 2023

ढाडी देख ढाढिन मचली, मोहे ले चल बृषभानु की नगरी, जन्म बधाई देन पहूची ढाडी संग ढाढिन, रिपोर्ट- LIC वाले हीरालाल नरेश ठाकुर के साथ STAR NEWS21

बरसाना, द्वापरकाल में जो लीला हैं बृषभानुनन्दनी श्रीराधा के जन्मोत्सव के एक दिन बाद बाबा बृषभानु और कीर्ति मइया को बधाई देने उनके महल ढाडी और ढाढिन आती है। बधाई गायन के अद्भुत गायन से बाबा बृषभानु और कीर्ति मइया को रिझाकर नाना प्रकार की बधाईयाँ लेती है। उसी का निर्वाह आज भी किया जाता हैं।

रविवार को राधाष्टमी के दुसरे दिन निज महल श्रीजी मन्दिर में शाम को संध्या आरतियों के बाद ढाढिन अपने ढाडी संग आकर बधाई गायन के साथ नाचती गाती हैं। पुराने समय में बताया जाता है कि गुप्त रुप से कुछ ढाडी ढाढिन आया करती थी और महल में बधाई देकर चली जायी थी। लेकिन गया सखी के समय से बधाई गायन को प्रकाश में अधिक लाया गया। गया सखी बधाई गाया करती थी। उनके के बाद अनुराग सखी ने इस परपंरा को आगे बढाया, लेकिन अनुराग सखी के बाद उनके अनुगत आपसी मतभेद के कारण दोनों अलग अलग रस्म निभाने पहूचने लगे।

ब्रह्मगिरि पर्वत स्थित लाडलीजी मंदिर में ढाढिन के रूप में बाबा अनुराग सखी के बाद उनकी दो ढाढिन शिष्याओं ने ढाढिन लीला का प्रदर्शन किया। उन्होंने जैसे संगीत की स्वर लहरियों के बीच ‘बरसाने जन्मी श्रीराधा, मैं तौ बधाई लेने जाउंगी बाबा दे दौ बधाई’ आदि पद प्रस्तुत किया। पद सुन श्रोता आनंदित होकर तालियां बजाकर बधाई गायन में मदहोश हो गए।

इस वर्ष भी यही देखने को मिला कि एक ढाढिन श्रीजी मन्दिर के नीचे बने हाँल में बधाई गायन कर रही हैं । वही दुसरी ढाढिन ने श्रीजी मन्दिर में अपनी चाँब चडाकर अपनी बधाई रस्म को पुरा किया।

बाबा बृषभानु के महल में जाने के लिए ढाढी बने कलाकार ने ढाढिन को खूब समझाने का प्रयास किया। ’ढ़ाढ़िनियां मचल रही बाबा मैं तो बधाई लेने बरसाने जाउंगी’ पद पर ढाडी ढाढिन ने अभिनय प्रस्तुत कर लोगों को अपलक निहारने को मजबूर कर दिया। लाडलीजी मंदिर का आंगन इस अद्भुत लीला को देखने के लिए देर रात तक भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। मंदिर सेवायतों ने ढाढी और ढांढिन को भेंट दी। इससे पूर्व शाम को अनुराग सखी की दोनों ढाढिन शिष्यों ने आश्रम से लाड़लीजी मंदिर तक चाव शोभायात्रा निकाली और लाड़ली मंदिर पहुंची।

 

आज भी ढाडी ढाढिन नाच गान को देखने हजारों भक्त पहुचते है। पुलिस प्रशासन की पूर्ण व्यवस्था होती हैं। वही पौराणिक गीत और गायन से आज भी बधाईयाँ गायी गयी। लोगों ने ढाडी ढाढिन नाँच लीला का आनन्द लिया। और बडे भाव से श्रीराधारानी के दर्शन कर श्रीजी मन्दिर पहूच भक्तों ने लाडली को बधाई दी।

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