
बरसाना, कहा जाता है कि बाबा बृषभानु ब्रज के राजा थे, और उनके यहाँ स्वयं परब्रह्म परमेश्वर की अल्लाह्दनी शक्ति श्रीराधा का अवतार हुआ था। बाबा बृषभानु फुले नही समाये। तरह तरह के हार, मोती माला, आभूषण, कपडा, आनाज आदि अपने लाली की खुशी में ब्राह्मणों व गरीबों और भाट आदि को बाँटे थे। जन्म के ही दिन छठी पूजन के आयोजन पर विशाल कुस्ती प्रतियोगिता की घोषणा कर दी गयी थी। पहले समय में मल्लयुद्ध को सबसे बडा आयोजन माना जाता हैं। ब्रज का तो मल्लयुद्ध एक बडा ही अनोखी प्रतियोगिता होती थी। बडे बडे राजाओं के मल्ल इस प्रतियोगिता में भाग लेते थे। और उचित इनाम की घोषणा भी होती थी।
वही परपंरा आज भी बाबा बृषभानु के नगर बरसाना (बृहत्सानु) में देखने को मिलती है। आने वाली 28 सितंबर गुरुवार को अष्टलीलाओं की धुरी व विशेष लीला मटकी फोट लीला होने के बाद बरसाना में विशाल दंगल (मल्लयुद्ध) का आयोजन होगा। इस दंगल में बडे बडे पहलवान राज्य और राष्ट्रीय स्थर के भाग लेते हैं। दंगल की व्यवस्था बरसाना समाज के लोगों द्वारा की जाता हैं। कहा जाता है कि दंगल की आर्थिक व्यवस्था बजार के व्यापारियों व समाज के लोगों के सहयोग से होती हैं। वही जो भी नगर पंचायत अध्यक्ष होता है। उसे दंगल की व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जाती है। जो काफी वर्षों से यह परपंरा चलती चली आ रही है।
आज भी यह परपंरा जीवित है। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में बरसानाक्षेत्र व बहार से आये लोगों का हूजूम देखने को मिलता है। अधिकतर बरसाना वासियों के प्रत्येक घरों में इस मटकी लीला व दंगल मेला को देखने आये रिस्तेदार, परिचित देखने को मिलेगे। पुलिस की खास सुरक्षा व्यवस्था होती है। पीएससी भी मेला सुरक्षा व्यवस्था में लगायी जाती हैं। दंगल में अन्तिम कुस्ती एक लाख से अधिक तक की होती है। छोटी छोटी सैंकडो कुस्तियाँ करायी जाती है। लेकिन अन्तिम कुस्ती एक लाख से अधिक की होती है। सोमवार को चतुर्भुजी मन्दिर में गाँव के कुछ लोगों द्वारा एक बैठक कर निर्णय लिया गया कि अन्तिम कुस्ती 110000/- (एक लाख ग्यारह हजार) रुपये की होगी। वही बैठक में निर्णय भी लिया गया । वही जो बैठक में आये लोगों में से ही दंगल व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी। (यह लीला वर्णन के अन्तर्गत लिखा गया है।)
ub25ot